मंगलवार, 8 सितंबर 2009

दिल्‍ली मेट्रो मेरा मेट्रो

मेट्रो यात्रियो,

उच्‍च तकनीक और पर्यावरण मित्र मेट्रो रेल का इंतजार दिल्‍ली वासियों को बहुत समय से था, वर्तमान में अधिकांश दिल्‍लीवासी मेट्रो परिवहन की सुविधा का प्रयोग कर रहे हैं, बहुत से लोग अभी भी मेट्रो का इंतजार कर रहे हैं और दिल्‍ली मेट्रो दिल्‍ली के चारों कोनों में पहुंचाने का प्रयास बहुत तेजी से चल रहा है । देखा-देखी या इसकी सफलता देखकर हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश तक इसे पहुंचाने की योजना पर भी काम चल रहा है ।

लेकिन क्‍या मेट्रो में सब कुछ सही है । क्‍या प्रत्‍येक दिल्‍ली वासी मेट्रो सेवा से खुश है । बढ़ती भीड़ के कारण क्‍या मेट्रो तंत्र ऐसे ही चलता रहेगा । मेट्रो के पदाधिकारी और यात्रियों को अभी इस बारे में और कुछ सोचना बाकी है । ऐसी बहुत सी बातें हैं, बहुत से प्रश्‍न है, जिन्‍हें उठाया जाना चाहिए । आखिर हम लोग कब सुधरेंगे या फिर मेट्रो का अपने यात्रियों की सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है ।

आज दिनांक 8 सितंबर को मेट्रो स्‍टेशन राजीव चौक पर सायं 6 और सात बजे के बीच जो नजारा था, क्‍या हम सबको उससे आंखें मूंद लेनी चाहिएं । बहुत से सुझाव लोग वहां पर खड़े खड़े देते रहे, बहुत से लोग वहां मेट्रो में चढ़ने के लिए लड़ते हुए देखे गए, उतरने वालों को भी धक्‍का-मुक्‍की करनी पड़ी, क्‍या यह सब ठीक है ।

इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए आज से मैंने यह ब्‍लॉग बनाया है, बहुत पहले बनाना चाहता था, लेकिन और भी गम हैं जमाने में मेट्रो के सिवाय की तर्ज पर कहूंगा कि देर आयद दुरूस्‍त आयद । आप क्‍या कहेंगे, इसकी प्रतीक्षा है । आपके विचार एवं सुझाव आमंत्रित हैं । इस ब्‍लॉग पर मेट्रो में घटती घटनाओं और जहन में उठती कहानियों को लघु कथा के रूप में भी प्रस्‍तुत करने का प्रयास करूंगा । शेष फिर,

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