शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

बात आज की भी है और 26 जनवरी से पहले भी ऐसा ही कुछ मैंने देखा है।  वैसे तो दिल्‍ली मेट्रो में यात्रा करने वाला प्रत्‍येक व्‍यक्ति इस बात से सहमत होगा कि मेट्रो स्‍टेशन के मुख्‍य दरवाजों के बाहर भिखारी खड़े रहते हैं, देखकर किसी को भी अच्‍छा नहीं लगता होगा, कम से कम मुझे तो नहीं।  इससे एक तो यात्रियों में असुरक्षा की भावना आ जाती है और दूसरे दिल्‍ली को विश्‍वश्रेणी का शहर बनाने की बात में सबसे बड़ा धब्‍बा भी है।  अब पता नहीं दिल्‍ली सरकार या मेट्रो के बड़े अधिकारी इस बारे में क्‍या सोचते हैं।

एक और बात जो अचंभित करती है, मैं उसका वर्णन भी यहां कर रहा हूं।  जहां तक 26 जनवरी पर सुरक्षा गतिविधियों की बात है, प्रत्‍येक नागरिक ने इसमें मेट्रो के लिए तैनात सीआईएसएफ का सहयोग किया, उसके लिए चाहे आधा-आधा घंटा लाईन में खड़े होना पड़ा और वो भी खुले में।  बात 23 जनवरी की शाम की है, जब कार्ड का प्रयोग कर मैं बाहर आ रहा था तो क्‍या देखता हूं कि कुछ छोटे बच्‍चे (निश्चित रूप से भिखारी) बिना टोकन के अंदर घुस आए हैं और वो आगे यात्रा भी करेंगे, ऐसा लग रहा था।  एक ओर तो यात्रीगण लाईन से आ रहे थे, दूसरी ओर इस तरह से चार-पांच बच्‍चे अंदर घुस गए और वो भी सीआईएसएफ वालों के सामने शोर मचाते हुए।  बाहर आकर मैंने एक सीआईएसएफ जवान से कहा कि देखिए यह गलत हो रहा है, यह बच्‍चे इस तरह से झुक कर अंदर चले गए हैं, आप इन्‍हें रोकते नहीं क्‍या।  उस जवान ने जो जवाब दिया वो जवाब नहीं बल्कि मेरे से सवाल था कि तो क्‍या बच्‍चों को मारें ?

इस पर मैंने उन्‍हें कहा कि मारने को कौन कह रहा है, लेकिन यही बच्‍चे और जो भिखारी दरवाजों पर नीचे खड़े रहते हैं, यही टारगेट होते हैं ऐसे मौकों पर, उसने बात अनसुनी कर दी।  मेरे साथ ही एक और महिला ने भी उन्‍हें समझाने की कोशिश की कि यह बच्‍चे जिस तरह से यहां पर आ-जा रहे हैं तो है तो यह गलत ही ना, लेकिन वो फिर उन्‍हें ही समझाने लगा, बच्‍चे हैं अभी चले जाएंगे।  गोया कि मेट्रो स्‍टेशन कोई पिकनिक या खेलने-कूदने की जगह बन गई है।

अब आज मैंने उन्‍हीं बच्‍चों के एक झुंड को लिफ्ट में भी देखा, एक लड़का लिफ्ट में जाने लगा, लेकिन उन बच्‍चों को देखकर डरसा गया और बाहर आकर सीढि़यों से ही ऊपर चला गया।

सीधा सा प्रश्‍न है कि सीआईएसएफ और मेट्रो के अधिकारी-कर्मचारी क्‍या चाहते हैं, इस तरह से स्‍टेशनों के आस-पास रिक्‍शेवाले झगड़ते रहते हैं, भिखारी पांच-सात सीढि़यों तक आ जाते हैं, नशेड़ी लोग अलग यहां पर मंडराते रहते हैं, यह सब क्‍या है ?  क्‍या इन लोगों से मेट्रो को कोई खतरा नहीं है या फिर बसों में जिस तरह से
गाने-बजाने वाले चढ़ जाते थे और यात्रियों को परेशान करते थे या फिर किताबें, पेन या और छोटी-मोटी चीजें बेचने चले आते थे, क्‍या उसी परंपरा को निभाने की तैयारी की जा रही है कि जाओ मेट्रो में जाकर भी इसी तरह का उत्‍पात मचाओ।  इसे रोकना आवश्‍यक है, हादसे का इंतजार नहीं करना है।  

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

आज दिल्‍ली मेट्रो दस साल की हो गई है, इस संबंध में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाना था, परंतु दिल्‍ली संवेदनशील क्षेत्र हो जाने के कारण यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।  साथ ही आज बिना किसी धूमधाम के 8 डिब्‍बों वाली मेट्रो भी प्रारंभ हो गई है।

मेट्रो के दशाब्‍दी समारोह की सूचना देने वाले विभिन्‍न स्‍टेशनों पर लगे पोस्‍टर केवल अंग्रेजी में है, मुझे यह देखकर खुशी होती थी कि मेट्रो में हिंदी का पालन पूर्ण रूप से किया जा रहा है चाहे वह स्‍टेशन पर लगे संकेतक हों, दूसरे बोर्ड हों, मेट्रो के अंदर सूचना प्रदान प्रणाली हो या फिर अन्‍य सामग्री, लेकिन दशाब्‍दी पोस्‍टर केवल अंग्रेजी में देखकर मुझे बहुत निराशा हुई है।  

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

एक और मेट्रो

दिल्‍लीवासियों के लिए एक और मेट्रो आ गई है और कल 3 अप्रैल से दिल्‍लीवासी मुंडका तक पहुंचने के लिए इसका प्रयोग कर सकेंगे। इस मेट्रो की खासियत यह है कि यह देश की पहली स्‍टैंडर्ड गेज मेट्रो है। अभी यह ट्रेन इंद्रलोक स्‍टेशन से चलेगी लेकिन कुछ ही महीनों में शायद जून तक इसे कीर्ति नगर स्‍टेशन से जोड़ दिया जाएगा और फिर वह लोग जो द्वारका से दिलशाद गार्डन या कश्‍मीरी गेट जाना चाहते हैं या फिर रोहिणी जाना चाहते हैं, वह अपेक्षाकृत कम समय में पहुंच जाएंगे और उन्‍हें भीड़-भाड़ से भी कुछ राहत मिलेगी। हरियाणा बॉर्डर पर मुंडका स्‍टेशन होने से बहादुरगढ़ और झज्‍जर के लोग भी दिल्‍ली आराम से आ सकेंगे। इस लाइन का ट्रेक भी अलग है और सिग्‍नल सिस्‍टम भी। यह ग्रीन मेट्रो कहलाएगी। आपके आसान सफर के लिए शुभकामनाएं।

बुधवार, 11 नवंबर 2009

काम की बात

पिछले कुछ दिनों से मेट्रो में बहुत सी मुसीबतें आई हैं, विशेष रूप से यात्रियों को मिलने वाली नई ट्रेन में किसी न किसी खराबी से सभी ट्रेन लेट हो रही हैं । आज की बात खास तौर पर, राजीव चौक पर बेशुमार भीड़, हमने सोचा कि क्‍यों न उलटी दिशा की ट्रेन पकड़ी जाए ताकि आराम से आया जाए, था तो एक तरह का अपराध ही, मरते क्‍या न करते, लेकिन वापसी में राजीव चौक तक एक घंटा लग गया, दरअसल आज ट्रेन चल नहीं रही थी, रेंग भी नहीं रही थी, रूक-रूक कर चल रही थी । दरअसल सुबह भी पूरा सवा घंटा लगा था, इसलिए शाम को ज्‍यादा वक्‍त न लगे यह सोच कर उलटी दिशा में गए । लेकिन अफसोस पूरा डेढ घंटा लगा । न जाने हम दिल्‍ली वाले कब सुधरेंगे, मेट्रो पर प्रबंधन बिल्‍कुल ध्‍यान नहीं दे रहा है, टोकन पर टोकन दिए जा रहा है ।

दरअसल 14 नवंबर से ट्रेड फेयर भी प्रारंभ हो रहा है इसलिए मेरा निवेदन है कि थोड़ी सी सावधानी अवश्‍य बरतिए, वरना कुछ भी हो सकता है । 13 नवंबर से किराया तो बढ़ ही रहा है । मेट्रो वालों से भी निवेदन है कि भीड़ के लिए खास इंतजाम किए जाएं ।

मेट्रो का किराया भी बढ़ा

मेट्रो की हालत चाहे जैसी हो, सवारियों में धक्‍का-मुक्‍की हो, भीड़-भाड़ में पर्स गायब हो रहे हों, एक घंटे की जगह आपको दो घंटे लग रहे हों तो आप और कुछ चाहेंगे । आपको देने की बजाए अब मेट्रो वाले 13 नवंबर से किराया ज्‍यादा लेने जा रहे हैं । वजह चाहे कुछ भी हो, यह पूर्वानुमान तो था ही कि किराया बढ़ेगा, तो अब आपकी उम्‍मीदें पूरी होने जा रही हैं, बधाई ।

शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

नोएडा मेट्रो लाइन

मेट्रो चीफ ई. श्रीधरन ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि दिल्ली-नोएडा के बीच मेट्रो रूट शुरू होने में अभी देरी है।
उन्होंने कहा कि कोचों की कमी के चलते इस रूट पर नवंबर-दिसंबर के बीच ही मेट्रो शुरू हो पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि आनंद विहार मेट्रो लाइन भी दिसंबर में शुरू हो जाएगी। शुक्रवार को केंद्रीय सचिवायल-जहांगीर पुरी लाइन पर नई मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन करते हुए श्रीधरन ने यह जानकारी दी। पटेल चौक पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सिंतबर में शुरू होने वाले नोएडा मेट्रो रूट के बारे में कहा कि फिलहाल यह रूट शुरू नहीं हो पाएगा। उन्होंने बताया कि इस रूट को शुरू करने के लिए कोच नहीं है। इसलिए अब यह रूट नवंबर के आखिरी सप्ताह या दिसंबर की शुरुआत में ही शुरू हो सकेगा।
पीक आवर्स में भीड़भाड़ झेल रहे मेट्रो पैसेंजरों को राहत देने के लिए नई मेट्रो ट्रेनों को धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जा रहा है। अगले एक-डेढ़ महीने में नई खेप की लगभग एक दर्जन ट्रेनें ट्रैक पर आ जाएंगी। फिलहाल इनकी टेस्टिंग चल रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय सचिवालय-जहांगीरपुरी लाइन पर फिलहाल 16 ट्रेनें दौड़ती हैं। और मेट्रो की नई खेप में 13 ट्रेनें आ चुकी हैं, जिन्हें धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जाएगा।
पीक आवर्स में भीड़भाड़ झेल रहे मेट्रो पैसेंजरों को राहत देने के लिए नई मेट्रो ट्रेनों को धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जा रहा है। अगले एक-डेढ़ महीने में नई खेप की लगभग एक दर्जन ट्रेनें ट्रैक पर आ जाएंगी। फिलहाल इनकी टेस्टिंग चल रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय सचिवालय-जहांगीरपुरी लाइन पर फिलहाल 16 ट्रेनें दौड़ती हैं। और मेट्रो की नई खेप में 13 ट्रेनें आ चुकी हैं, जिन्हें धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जाएगा।

रविवार, 13 सितंबर 2009

मेट्रो कोच का पटरी से उतरना

मेट्रो में एक के बाद एक गड़बडि़यों का सिलसिला जारी है। रविवार को यमुना बैंक-द्वारका रूट पर सुबह इंद्रप्रस्थ स्टेशन से पहले मेट्रो का एक कोच पटरी से उतर गया। इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है लेकिन इस रूट पर मेट्रे की सेवा बाधित हो गई है। पटरी साफ किए जाने तक मेट्रो यमुना बैंक के बजाय द्वाराका के लिए इंद्रप्रस्थ से चलाई जा रही हैं। मेट्रो की सुरक्षा एवं संरक्षा में खामी की एक महीने में यह चौथी घटना है। जानकारी के मुताबिक सुबह 6 बजे यमुना बैंक से खुलने के 100 मीटर बाद ही मेट्रो का एक कोच पटरी से उतर गया। इसके बाद से ही फिलहाल यमुना बैंक स्टेशन से मेट्रो की सेवा बंद कर दी गई है और यात्रियों से अपील की जा रही है कि वे इंद्रप्रस्थ स्टेशन से मेट्रो पकड़े। यमुना स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों को फीडर बसो के द्वारा भी इंद्रप्रस्थ स्टेशन पहुंचाया जा रहा है। इससे पहले शनिवार को केंद्रीय सचिवालय-जहांगीरपुरी रूट पर मेट्रो के ब्रेक फेल हो गए थे। इससे भयानक हादसा होते-होते टल गया था। राजीव चौक स्टेशन पर ब्रेक फेल होने के बाद ऑपरेटर ने तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगा हादसे को टाला। इसके कारण करीब आधे घंटे तक इस रूट पर मेट्रो की सेवा बाधित रही। घटना के कारणों की जांच के लिए विभागीय जांच कमेटी गठित कर दी गई है।