मेट्रो चीफ ई. श्रीधरन ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि दिल्ली-नोएडा के बीच मेट्रो रूट शुरू होने में अभी देरी है।
उन्होंने कहा कि कोचों की कमी के चलते इस रूट पर नवंबर-दिसंबर के बीच ही मेट्रो शुरू हो पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि आनंद विहार मेट्रो लाइन भी दिसंबर में शुरू हो जाएगी। शुक्रवार को केंद्रीय सचिवायल-जहांगीर पुरी लाइन पर नई मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन करते हुए श्रीधरन ने यह जानकारी दी। पटेल चौक पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सिंतबर में शुरू होने वाले नोएडा मेट्रो रूट के बारे में कहा कि फिलहाल यह रूट शुरू नहीं हो पाएगा। उन्होंने बताया कि इस रूट को शुरू करने के लिए कोच नहीं है। इसलिए अब यह रूट नवंबर के आखिरी सप्ताह या दिसंबर की शुरुआत में ही शुरू हो सकेगा।
पीक आवर्स में भीड़भाड़ झेल रहे मेट्रो पैसेंजरों को राहत देने के लिए नई मेट्रो ट्रेनों को धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जा रहा है। अगले एक-डेढ़ महीने में नई खेप की लगभग एक दर्जन ट्रेनें ट्रैक पर आ जाएंगी। फिलहाल इनकी टेस्टिंग चल रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय सचिवालय-जहांगीरपुरी लाइन पर फिलहाल 16 ट्रेनें दौड़ती हैं। और मेट्रो की नई खेप में 13 ट्रेनें आ चुकी हैं, जिन्हें धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जाएगा।
पीक आवर्स में भीड़भाड़ झेल रहे मेट्रो पैसेंजरों को राहत देने के लिए नई मेट्रो ट्रेनों को धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जा रहा है। अगले एक-डेढ़ महीने में नई खेप की लगभग एक दर्जन ट्रेनें ट्रैक पर आ जाएंगी। फिलहाल इनकी टेस्टिंग चल रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय सचिवालय-जहांगीरपुरी लाइन पर फिलहाल 16 ट्रेनें दौड़ती हैं। और मेट्रो की नई खेप में 13 ट्रेनें आ चुकी हैं, जिन्हें धीरे-धीरे ट्रैक पर लाया जाएगा।
शुक्रवार, 25 सितंबर 2009
रविवार, 13 सितंबर 2009
मेट्रो कोच का पटरी से उतरना
मेट्रो में एक के बाद एक गड़बडि़यों का सिलसिला जारी है। रविवार को यमुना बैंक-द्वारका रूट पर सुबह इंद्रप्रस्थ स्टेशन से पहले मेट्रो का एक कोच पटरी से उतर गया। इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है लेकिन इस रूट पर मेट्रे की सेवा बाधित हो गई है। पटरी साफ किए जाने तक मेट्रो यमुना बैंक के बजाय द्वाराका के लिए इंद्रप्रस्थ से चलाई जा रही हैं। मेट्रो की सुरक्षा एवं संरक्षा में खामी की एक महीने में यह चौथी घटना है। जानकारी के मुताबिक सुबह 6 बजे यमुना बैंक से खुलने के 100 मीटर बाद ही मेट्रो का एक कोच पटरी से उतर गया। इसके बाद से ही फिलहाल यमुना बैंक स्टेशन से मेट्रो की सेवा बंद कर दी गई है और यात्रियों से अपील की जा रही है कि वे इंद्रप्रस्थ स्टेशन से मेट्रो पकड़े। यमुना स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों को फीडर बसो के द्वारा भी इंद्रप्रस्थ स्टेशन पहुंचाया जा रहा है। इससे पहले शनिवार को केंद्रीय सचिवालय-जहांगीरपुरी रूट पर मेट्रो के ब्रेक फेल हो गए थे। इससे भयानक हादसा होते-होते टल गया था। राजीव चौक स्टेशन पर ब्रेक फेल होने के बाद ऑपरेटर ने तत्काल इमरजेंसी ब्रेक लगा हादसे को टाला। इसके कारण करीब आधे घंटे तक इस रूट पर मेट्रो की सेवा बाधित रही। घटना के कारणों की जांच के लिए विभागीय जांच कमेटी गठित कर दी गई है।
हिंदी दिवस
आज नई दुनिया में, नवभारत टाइम्स में और अनेक समाचार पत्रों में हिंदी के बारे में काफी कुछ लिखा गया है । अच्छा लगता है कि हिंदी का प्रचार-प्रसार हो रहा है, चाहे उसका माध्यम बॉलीवुड हो या प्रकाशन के अंतर्गत पत्र-पत्रिकाएं ।
लेकिन मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि मुझे इस बात से और भी खुशी होती है कि इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग फैलता ही जा रहा है और बहुत से ब्लॉग इस बारे में लिखते रहते हैं । हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसने सबको अपना बनाया है और सब उसमें शामिल होकर खुश भी हैं । हों भी क्यों न, आखिर अनेकता में एकता के प्रतीक हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा जो है ।
आइए 14 सितंबर 2009 के उगते सूरज को प्रणाम करते हुए हिंदी में अधिक से अधिक कार्य करने की प्रतिज्ञा करें और अपने देश के विकास में योगदान दें । ठीक कह रहा हूं न,
लेकिन मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि मुझे इस बात से और भी खुशी होती है कि इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग फैलता ही जा रहा है और बहुत से ब्लॉग इस बारे में लिखते रहते हैं । हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसने सबको अपना बनाया है और सब उसमें शामिल होकर खुश भी हैं । हों भी क्यों न, आखिर अनेकता में एकता के प्रतीक हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा जो है ।
आइए 14 सितंबर 2009 के उगते सूरज को प्रणाम करते हुए हिंदी में अधिक से अधिक कार्य करने की प्रतिज्ञा करें और अपने देश के विकास में योगदान दें । ठीक कह रहा हूं न,
गुरुवार, 10 सितंबर 2009
आखिर क्या मिलता है
'आप थोड़ा सा पीछे हो जाइए ।'
'मैं कोई आपको धक्का तो नहीं मार रहा ।'
तो भी अगर थोड़ा उधर हो जाएंगे तो क्या हो जाएगा ।'
खड़ी रहो न, जोर की बोल के क्या मुझे यहां से हटा दोगी ।'
'अरे, यह क्या तरीका है लेडिज से बात करने का, कोई घर में बेटी, बहू तो होगी, उनसे भी इस तरह से बात करते हो क्या'
'तेरे घर में भी तो बाप होगा मेरी उम्र का ।'
और पागलों की तरह अन्य सवारियां हो-हो करके हसने लगती हैं ।
फिर पता नहीं, थोड़ी देर तक और बहस होती रही, लेकिन मेरे कान अब उस तरफ नहीं, उस आदमी के वाक्य की तरफ चला गया और उससे भी ज्यादा मुझे यह बात सोचने पर मजबूर कर रही थी कि आखिर अन्य सवारियों को हंसी क्यों आई । कोई कुछ भी सोच सकता है और कोई कुछ भी बोल सकता है, लेकिन इस बात पर लोग इतनी जोर कि हंस पड़े, यह वास्तव में हैरानी की बात है, क्या यही है दिल्ली मेट्रो का कल्चर ।
'मैं कोई आपको धक्का तो नहीं मार रहा ।'
तो भी अगर थोड़ा उधर हो जाएंगे तो क्या हो जाएगा ।'
खड़ी रहो न, जोर की बोल के क्या मुझे यहां से हटा दोगी ।'
'अरे, यह क्या तरीका है लेडिज से बात करने का, कोई घर में बेटी, बहू तो होगी, उनसे भी इस तरह से बात करते हो क्या'
'तेरे घर में भी तो बाप होगा मेरी उम्र का ।'
और पागलों की तरह अन्य सवारियां हो-हो करके हसने लगती हैं ।
फिर पता नहीं, थोड़ी देर तक और बहस होती रही, लेकिन मेरे कान अब उस तरफ नहीं, उस आदमी के वाक्य की तरफ चला गया और उससे भी ज्यादा मुझे यह बात सोचने पर मजबूर कर रही थी कि आखिर अन्य सवारियों को हंसी क्यों आई । कोई कुछ भी सोच सकता है और कोई कुछ भी बोल सकता है, लेकिन इस बात पर लोग इतनी जोर कि हंस पड़े, यह वास्तव में हैरानी की बात है, क्या यही है दिल्ली मेट्रो का कल्चर ।
बुधवार, 9 सितंबर 2009
राहत भरी मेट्रो
दिल्ली में शाम को बहुत तेज बारिश हुई और अभी भी बौछारें रह-रह कर आ रही हैं । ऐसे में आज एक बार फिर मेट्रो पर भीड़-भाड़, अपने-अपने आफिसों से थके हारे लोग आ रहे हैं और यह देख कर उन्हें राहत मिल रही है कि मेट्रो चल रही है । इतनी तेज बारिश जिसमें गाड़ी चलाना मुश्किल होता है, दिल्ली वासी, जो मेट्रो से सफ़र करते हैं, खुश हैं और वह मेट्रो को राहत भरी मेट्रो मान रहे हैं ।
मंगलवार, 8 सितंबर 2009
दिल्ली मेट्रो मेरा मेट्रो
मेट्रो यात्रियो,
उच्च तकनीक और पर्यावरण मित्र मेट्रो रेल का इंतजार दिल्ली वासियों को बहुत समय से था, वर्तमान में अधिकांश दिल्लीवासी मेट्रो परिवहन की सुविधा का प्रयोग कर रहे हैं, बहुत से लोग अभी भी मेट्रो का इंतजार कर रहे हैं और दिल्ली मेट्रो दिल्ली के चारों कोनों में पहुंचाने का प्रयास बहुत तेजी से चल रहा है । देखा-देखी या इसकी सफलता देखकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक इसे पहुंचाने की योजना पर भी काम चल रहा है ।
लेकिन क्या मेट्रो में सब कुछ सही है । क्या प्रत्येक दिल्ली वासी मेट्रो सेवा से खुश है । बढ़ती भीड़ के कारण क्या मेट्रो तंत्र ऐसे ही चलता रहेगा । मेट्रो के पदाधिकारी और यात्रियों को अभी इस बारे में और कुछ सोचना बाकी है । ऐसी बहुत सी बातें हैं, बहुत से प्रश्न है, जिन्हें उठाया जाना चाहिए । आखिर हम लोग कब सुधरेंगे या फिर मेट्रो का अपने यात्रियों की सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है ।
आज दिनांक 8 सितंबर को मेट्रो स्टेशन राजीव चौक पर सायं 6 और सात बजे के बीच जो नजारा था, क्या हम सबको उससे आंखें मूंद लेनी चाहिएं । बहुत से सुझाव लोग वहां पर खड़े खड़े देते रहे, बहुत से लोग वहां मेट्रो में चढ़ने के लिए लड़ते हुए देखे गए, उतरने वालों को भी धक्का-मुक्की करनी पड़ी, क्या यह सब ठीक है ।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज से मैंने यह ब्लॉग बनाया है, बहुत पहले बनाना चाहता था, लेकिन और भी गम हैं जमाने में मेट्रो के सिवाय की तर्ज पर कहूंगा कि देर आयद दुरूस्त आयद । आप क्या कहेंगे, इसकी प्रतीक्षा है । आपके विचार एवं सुझाव आमंत्रित हैं । इस ब्लॉग पर मेट्रो में घटती घटनाओं और जहन में उठती कहानियों को लघु कथा के रूप में भी प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा । शेष फिर,
उच्च तकनीक और पर्यावरण मित्र मेट्रो रेल का इंतजार दिल्ली वासियों को बहुत समय से था, वर्तमान में अधिकांश दिल्लीवासी मेट्रो परिवहन की सुविधा का प्रयोग कर रहे हैं, बहुत से लोग अभी भी मेट्रो का इंतजार कर रहे हैं और दिल्ली मेट्रो दिल्ली के चारों कोनों में पहुंचाने का प्रयास बहुत तेजी से चल रहा है । देखा-देखी या इसकी सफलता देखकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक इसे पहुंचाने की योजना पर भी काम चल रहा है ।
लेकिन क्या मेट्रो में सब कुछ सही है । क्या प्रत्येक दिल्ली वासी मेट्रो सेवा से खुश है । बढ़ती भीड़ के कारण क्या मेट्रो तंत्र ऐसे ही चलता रहेगा । मेट्रो के पदाधिकारी और यात्रियों को अभी इस बारे में और कुछ सोचना बाकी है । ऐसी बहुत सी बातें हैं, बहुत से प्रश्न है, जिन्हें उठाया जाना चाहिए । आखिर हम लोग कब सुधरेंगे या फिर मेट्रो का अपने यात्रियों की सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है ।
आज दिनांक 8 सितंबर को मेट्रो स्टेशन राजीव चौक पर सायं 6 और सात बजे के बीच जो नजारा था, क्या हम सबको उससे आंखें मूंद लेनी चाहिएं । बहुत से सुझाव लोग वहां पर खड़े खड़े देते रहे, बहुत से लोग वहां मेट्रो में चढ़ने के लिए लड़ते हुए देखे गए, उतरने वालों को भी धक्का-मुक्की करनी पड़ी, क्या यह सब ठीक है ।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज से मैंने यह ब्लॉग बनाया है, बहुत पहले बनाना चाहता था, लेकिन और भी गम हैं जमाने में मेट्रो के सिवाय की तर्ज पर कहूंगा कि देर आयद दुरूस्त आयद । आप क्या कहेंगे, इसकी प्रतीक्षा है । आपके विचार एवं सुझाव आमंत्रित हैं । इस ब्लॉग पर मेट्रो में घटती घटनाओं और जहन में उठती कहानियों को लघु कथा के रूप में भी प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा । शेष फिर,
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